क्या मैं संतुष्ट हूं1 min read

Reply From My Soul

Satisfaction

हां मैं संतुष्ट हूं, क्योंकि मुझे लग रहा है कि मैं सही रास्ते पर आगे बढ़ रहा हूं,
बढ़ रहा हूं और हर रोज संतुष्ट महसूस कर रहा हूं।
इससे ज्यादा मुझे और क्या चाहिए,
आनंद की स्थिति में मैं हमेशा रहता हूं।

अगर मैं आनंद की स्थिति में नहीं रहता या कोई इच्छा मन में चलती रहती,
तो मुझे लगता कि नहीं मुझे कुछ और भी करना चाहिए,
इसको किसी तरीके से हल करना चाहिए या क्या यह हाल हो भी सकती है या नहीं,

पर अब मुझे ऐसा लग रहा है जैसे अंदर से पूरी तरह से संतुष्टि है,
कोई लालच नहीं, कोई इच्छा नहीं, कोई चाहत नहीं,
मिल जाए तो ठीक है, नहीं मिले तो भी ठीक है,
बस भगवान के साथ जुड़ने की इच्छा है, यह तो रहेगी ही हमेशा।

भगवान से यह प्रार्थना की थी कि वह अपने चरणों में जोड़ लें और उन्होंने खुद ही रस्ते तैयार कर दिए,
और भी अगर कुछ होगा तो वह भी आ जाएगा सामने,
सब कुछ अपने समय से होता जाएगा,
बस आनंद से रहना है, आनंद में जीना है।

अब तो यह प्लान भी नहीं है कि कल क्या करना है, और आज क्या करना है,
जो सामने आ जाए वह कर लेंगे, नहीं आएगा तो नहीं करेंगे,
इंतजार भी एक क्रिया है, आराम करना भी एक क्रिया है,
अपनी स्पीड से जो होता है होते जाने देते हैं, अपनी क्रिया करी जाते हैं और आनंद में रहते हैं।

जिसने आना है वह आ जाएगा और जिसने नहीं आना वह नहीं आएगा।

अगर किसी के काम आ सकूं तो खुशी होगी, अगर नहीं आ सकूंगा तो यह उसकी मर्जी होगी,
शायद मेरा इतना ही रोल है, अपनी तरफ से कोई खास प्रयास नहीं करना है,
ऐसे ही चलने देना है, चीज़है अपने आप होती जाएंगी।

मुझे बस नया नया सीखते रहना है, आगे बढ़ते रहना है।

सीखने और सिखाने में मुझे खुशी मिलती है, वह करते रहना है,
साथ की साथ घर का खर्चा चलता रहे इसलिए कुछ काम भी करना है।

अगर कोई प्यारा जो बिछड़ा हुआ है वह मिल जाए तो भगवान का शुक्रिया है,
अगर वह ना मिले तो यह भी भगवान की मर्जी है,
जब सब कुछ उसके हाथ में है तो मैंने क्या करना है,
बस जो सीख सकता हूं सीखते जाना है, आगे बढ़ते जाना है।

आनंद में जीना है और शायद आनंद में ही मर जाना है।

अगर इस जीने मरने के चक्कर से मुक्त हो जाए तो क्या बात है,
नहीं भी हो पाए तो उसकी मर्जी,
यहां तक वह ले आया है, तो आगे भी ले जाएगा,
अभी जो करवा रहा है, इसी तरह से आगे भी करवाएगा।

और कुछ नहीं है कहने को बस शुक्रिया है उस खुदा का,
जो हो रहा है वह भी अच्छा है और जो होगा वह भी अच्छा ही होगा।

बस आगे बढ़ते जाना है।

Yogi Param

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